अक्वापॉनिक्स का अर्थ है  मिट्टी के बिना की जाने वाली खेती और मत्स्य पालन का सम्मिलित रूप।

इसे सब्ज़ियों एवं मछलियों के संयुक्त पालन के रूप में भी जाना जाता है।

इस पद्धति में मछलियों को एक पानी के टंकी में पाला जाता है, और उनकी विष्ठा (मल) से उत्पन्न पोषक तत्त्व पानी के माध्यम से पौधों तक पहुँचते हैं, जिससे पौधों को पोषण प्राप्त होता है।

अक्वापॉनिक्स प्रणाली में पारंपरिक खेती की तुलना में बहुत ही कम मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है।

यह खेती पर्यावरण के अनुकूल (ईको-फ्रेंडली) होती है और इसमें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग भी बहुत कम किया जाता है।

जहाँ वर्षा पर निर्भर रहकर केवल एक फसल उगाई जाती है, ऐसे क्षेत्रों में अक्वापॉनिक्स द्वारा कम खर्च में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

मछलियों की विष्ठा के कारण पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे पौधे पोषण के रूप में ग्रहण करते हैं।

इस तकनीक से पानी की बचत होती है और साथ ही पौधों को आवश्यक पोषक तत्त्व भी प्राप्त होते हैं।

यह प्रणाली 80% तक कम पानी और स्थान का उपयोग करके भोजन उत्पादन और वैकल्पिक आय का एक सतत (टिकाऊ) माध्यम बन जाती है

अक्वापॉनिक्स में पानी और पोषक तत्त्वों का पुनः उपयोग किया जाता है, जिससे उत्पादन लागत भी कम होती है।

इस विधि से कम स्थान में अधिक उत्पादन लेना संभव हो पाता है।

जलवायु परिवर्तन का इस प्रणाली पर प्रभाव कम पड़ता है, जिससे संपूर्ण वर्ष उत्पादन किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त, इसमें उर्वरकों और कीटनाशकों की आवश्यकता भी अत्यंत कम होती है।

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